Tuesday, 10 July 2018

गुरु पूर्णिमा - २०१८ (बेणेश्वर धाम)

सभी भक्तो को  || जय महाराज ||
परम पूज्य गुरुदेव श्री अचुतानन्द जी महाराज को शत शत नमन 
परमात्मा के दर्शन की अनुभूति हमें गुरु के दर्शन मात्र से होती है एवं गुरु के सानिध्य में रहने से तो हमें परमात्मा की प्राप्ति भी हो जाती है।
हमें परमात्मा की प्राप्ति कराने वाला पवित्र दिवस यानि गुरु पूर्णिमा।  गुरु की सेवा करने का यह पवन दिवस जिसका हमें एक वर्ष से इंतज़ार था ।


परमात्मा श्री कृष्णा के अंशावतार श्री मद माव मनोहर महाप्रभु ( मावजी महाराज ), बेणेश्वर के धरा पति को में प्रणाम करता हूँ।
मावजी महाराज के ९ वे वर्तमान उत्तराधिकारी परम वंदनीय श्री अचुतानन्द जी महाराज को प्रणाम करता हूँ।

प्रत्येक वर्ष की भाति इस वर्ष भी गुरु पूर्णिमा का महोत्सव बेणेश्वर धाम में आनंद उत्सव के साथ मनाया जायेगा।
मावजी महाराज ने श्री कृष्णा का अधूरा रास बेणेश्वर धाम में पूर्ण किया था उस दृश्य को याद कर साद सम्प्रदाय द्वार आज तक इस महारास का भव्य आयोजन गुरु पूर्णिमा के दिन किया जाता है।  एवं पूज्य श्री अचुतानन्द जी महाराज को पालकी मे बैठकर उनका आशीर्वाद समस्त भक्तो को प्राप्त कराया जाता है।  तन एवं मन को शुद्ध करने वाली वागड़ की गंगा , आदिवासियों का महाकुंभ सोम, माहि और जाखम नदियों का संगम आबूदर्रा  में स्नान कर आनंद का अनुभव होता है।

आप भी पधारिये मावजी महाराज की रास स्थली बेणेश्वर धाम में एवं परमानंद को प्राप्त कीजिये
|| जय महाराज ||
लेखक : देवेन्द्र जे खासोर
निष्कलंक धाम शेषपुर 

Thursday, 25 January 2018

मावजी महाराज के शेषपुर गांव में आगमन की कथा

सभी मावभक्ताें काे"" जय महाराज "" मावजी महाराज के शेषपुर गांव में आगमन की कथा काे मैने शब्दाें में लेखबद्ध करने का एक सफल प्रयास किया है ।सभी माव भक्ताें से निवेदन है कि इस पुर्ण कथा काे पढें आप आनन्द विभाेर हाे जायेंगे । जय मावजी महाराज.   अदभुत,आलाैकिक, अवतारी पुरुष मावजी महाराज ने शेषपुर गांव में इटावल ब्राह्मण समाज के खासाैर परिवार के पुर्वज पुजनीय जाैराजीं (खाैर-राणा) काे एवं नासियाेत परिवार के पुर्वज पुजनीय,आदरणीय नाहर जी (ठाकाेर) काे एक साथ स्वप्न में दर्शन  देकर शेषपुर आने की इच्छा जताई।  जाैराजीं एवं नाहर जी दाेनाे गांव के सम्मानीय व्यक्ति हाेने के साथ घनिष्ठ मित्र भी थे। जब प्रात:काल दाेनाे ने एक दुसरे काे अपने रात्री  स्वप्न के बारे में अवगत कराया ताे दाेनाे काे विश्वास नही हुआ कि दाेनाे काे एक ही समय में एक ही स्वप्न  अवतारी पुरुष मावजी महाराज द्वारा दिखाया गया ।इस आलाैकिक स्वप्न काे प्रभु  मावजी महाराज का आदेश मानकर जाैराजीं एवं नाहर जी तथा बाटा परिवार से दाे मावभक्ताे काे साथ लेकर प्रभु मावजी महाराज काे शेषपुर लाने हेतु रवाना हुए। जब माही नदी के आस-पास पंहुचे ताे थकान के कारण कुछ देर विश्राम करने का मन बनाया । विश्राम करते हुए नाहर जी के मन में विचार आया । आैर जाैराजीं से बाेले कि "हम मावजी महाराज के पास जायेंगे ताे उन्हें भेट स्वरुप क्या देंगे क्याेंकि  हम ताे कुछ भी लेकर नही आये है । " इस पर जाैराजीं ने कहा कि " हम एेसा करते है कि यहां माही नदी से कुछ गाेल पत्थर जाे नारियल की तरह दिखते है, आैर कुछ रेत ले लेते है आैर उसे ताेलिये में बान्ध लेते है।  आैर मावजी महाराज के पास जायेंगे ताे उस गठरी काे  पास में रख लेंगें  जिससे उनकाे लगेगा कि हम कुछ भेंट लेकर आये है । लेकिन   देना भुल  गये है । " एेसी याेजना बनाकर  वहां से रवाना हाेकर  सभी बेणेश्वर धाम पर पंहुचे ।मावजी महाराज के दर्शन कर प्रभु मावजी महाराज काे शेषपुर आने का आमन्त्रण  दिया। फिर बाताें ही बाताें में मावजी महाराज ने नाहर जी से पुछ लिया कि " मारा वाला पाेटली में क्या लेकर आये हाे ?"ताे  नाहर जी ने कहा कि "प्रभु बस नारियल आैर चावल है।भेंटस्वरुप लाये है"  । इस पर मावजी महाराज ने उन्हें भेट काे खाेलने  के लिए कहा ।पहले ताे उन्हाने मना कर दिया पर प्रभु मावजी महाराज के बार-बार आग्रह पर  उन्हाने  उस गठरी काे खाेला ताे उनके आश्चर्य का पार नही रहा ।जब गठरी के पत्थर नारियल आैर रेत  चावल बन चुके थे। ऐसे आलाैकिक अवतारी पुरुष मावजी महाराज के इस चमत्कार काे देखकर  नाहर जी ठाकाेर, जाैराजीं आैर दाेनाें बाटा  सभी मावभक्त उनके चरणाें में गिर पडे़ । फिर मावजी महाराज काे पालकी में बिठाकर चाराें शेषपुर आने के लिए  बेणेश्वर धाम से रवाना हुए । पैदल यात्रा करते हुए शेषपुर गांव के नजदीक पंहुचे ताे गांव में प्रवेश के दाैरान वर्तमान में शेषपुर गांव में  खारी क्षेत्र  में बाटा परिवार का बाहुल्य था । जिन्हाेंने  मावजी महाराज के  गांव नें प्रवेश का विराेध किया था  ।इसपर नाहर जी तथा जाैराजीं ने काफी समझाईश की लेकिन वाे नही मानें ।इस बात से ऩाराज हाेकर मावजी महाराज ने नाहर जी से पुछा कि " हमारे साथ कितने बाटा है ।" इस पर नाहर जी ने जवाब दिया कि बाटा परिवार के दाे लाेग हमारे साथ है।" इस पर मावजी महाराज ने लाेकभाषा में श्राप दिया कि " बे बाटा ने बाकी सब भाटा "  । तत्कालीन  समय के पश्चात  बाटा समुदाय की वंशवृद्धी पर  मावजी महाराज के श्राप का प्रभाव रहा । (वर्तमान समय में ऐसी किवदन्ती है कि  बाद में गादीपति गुरुदेव देवानन्द जी महाराज के आशीर्वाद से  मावजी महाराज के उस श्राप  से बाटा समुदाय मुक्त हुआ । आैर उनकी असीम कृपा से उत्तराेत्तर वंशवृद्धी हुई थी ।) बाद में मावजी महाराज का शेषपुर गांव में बहुत आदर- सत्कार हुआ । ऩाहर जी जाैराजीं आैर समस्त ईटावाल ब्राह्मण समाज के भक्ती -भाव से  प्रसन्न हाेकर मावजी महाराज ने  सभी इटावाल ब्राह्मणाें काे कहा कि सब अपने-अपने घर पर दस हाथ का कुंआ खाेदाे । मै मावजी आशीर्वाद देता हूँ कि चाहे कितना भी अकाल पडेगा इन कुंआें में पानी कभी खत्म नही हाेगा । तब ईटावाल ब्राह्मण समाज के भक्ताें ने मावजी महाराज से कहा कि प्रभु आपके आशीर्वाद से शेषपुर में खुब पानी है हम कुआ खुदवा कर क्या करेंगे । तब मावजी महाराज ने कहा कि " वाह रे इटीवाल ब्राह्मणाें मही सागर के पत्थर भीगे कि इटीवाल ब्राह्मण भीगे। " अर्थात् ईटावाल ब्राह्मण इतने इमानदार थे कि बिना मेहनत मुफ्त में कुछ भी लेना नहीं चाहते थे।  तब मावजी महाराज ने कहा कि ""जाआें ना कभी तुम भुखे रहाेगे ।ना ही कभी भरपेट भाेजन कर पाआेगे।"" अर्थात् ईटावाल ब्राह्मणाें की  आर्थिक स्थिति हमेशा समयानुसार  सामान्य ही रहेगी । ना अधिक धनार्जन व अकूत सम्पत्ति हाेगी ना ही दरिद्र हाेंगे ।"" जाे आज भी इटीवाल ब्राह्मण समाज पर अक्षरश: चरितार्थ हाेती है । ऩिस्संदेह आज भी इटीवाल ब्राह्मण समाज के लाेेग मेहनत करके इमानदारी से  अपना जीवनयापन करते है । """" तत्पश्चात मावजी महाराज धाैलागढ धाम पर एकान्तवास में चले गये । वहां पर अपनें शिष्याे की सहायता से चाैपडाें का लेखन किया अन्त में शेषपुर धाम पर उनका अन्तिम संस्कार हुआ । वही से स्वयंभू मूर्ति श्री निष्कलंक दशावतार की  चीता की राख से निकली जाे मंदिर बनाकर वहां स्थापित की गई।तत्कालीन समय से निरन्तर शेषपुर की तपाेभूमि पर आगामी कल्कि अवतार की नित्य-प्रति पूजा़ अर्चना हाेती है ।मावजी महाराज की असीम कृपा से इटीवाल ब्राह्मण समाज के दिवंगत दिव्य पुरुष रतनलाल जी  खासाैर  द्वारा  मावजी महाराज  के चाैपडाें का वाचन करने की दिव्य दृष्टि प्राप्त थी ।उनके देवलाेक गमन के पश्चात वर्तमान में उनके ज्येष्ठ पुत्र श्रीमान् शंकरलाल  जी खासाैर द्वारा साम सागर नामक चाैपडे  का वाचन  कर माववाणी काे जन-जन तक पंहुचाने का सार्थक कार्य किया जा रहा है ।   आलाैकिक अवतारी पुरुष मावजी महाराज  के समाधीस्थल शेषपुर धाम पर जहां    निष्कलंक दशावतार का  मन्दिर स्थित है ।वहां मन्दिर के दाहीनी तरफ पुजनीय जाैराजीं की एंव बांयी तरफ पुजनीय नाहर जी का समाधीस्थल बना हुआ है । जाे आज भी जनमानस के लिए प्रेरणा स्त्राैत है ।   आलाैकिक अवतारी पुरुष मावजी महाराज के शेषपुरआगमन  का मेरा यह लेख दन्तकथाआें पर आधारित है इस लेख में मुझसे काेई त्रुटि रह गई हाे ताे क्षमा प्रार्थी हूँ ।  
पंकज सरवार शेषपुर
Mo. 09660674957

Wednesday, 24 January 2018

युग प्रवर्तक सिद्ध संत मावजी महाराज

जब जब धर्म की हानि हुई और अधर्म का बोलबाला बढ़ा तब भगवान ने भारतवर्ष में स्वयम् या अपना अंशावतार पृथ्वी पर प्रकट किया ।
गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है ~
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥७॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥८॥
(श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय ४)
वैसा ही हुआ इस प्रदेश में जब 700 वर्षो की लंबी गुलामी में मुसलमानों, ईसाइयो और अंग्रेजो ने हमारे देश में धर्म और संस्कृति को नष्ट कर बलात् धर्म परिवर्तन करने का कार्य किया गया । जिसमें उन्हें कई क्षेत्रो में सफलता मिली पर वागड़ क्षेत्र में वो अभियान असफल रहा। क्योंकि
भगवान ने वागड़ को अपने अंशावतार के लिये चुना । भगवान वही प्रगट होते है जहाँ ज्ञान , भक्ति और वैराग्य का संगम हो ।
अरावली की गोद में बसे सोम, माही और जाखम की कलकल करती सरिताओं के इस वाक् वर प्रदेश वागड़ की पुण्यमय धरा बेणेश्वर के निकट साबला गाँव में सुनैया पहाड़ी की तलहटी में सिद्धसंत, त्रिकालदर्शी , धर्मरक्षक और श्री कृष्णावतार पूज्य मावजी का प्रागट्य वि. सम्वत् 1784 में माघ शुक्ला ११ को हुआ ।
(तदनुसार 28 जनवरी 1715 को )
आपका जन्म उच्च कुल के दालम ऋषि के घर हुआ था जो जाति से ब्राहम्ण थे और माता का नाम केसर बाई था ।
आप को ज्ञान अपने पिता से विरासत में मिला था।( पर कुछ विद्वान् आपको अनपढ़ भी मानते है।) आपका घर का वातावरण ज्ञान और भक्तिपूर्ण था ।पिताजी से बचपन में ही शास्त्रज्ञान , अद्वैत वेदांत , वैष्णव भक्ति का बीजारोपण किया गया था ।
जन श्रुति व चौपड़ो के अनुसार मावजी महाराज द्वापर युग की अधूरी रासलीला को पूर्ण करने के लिये यहाँ पर उन भक्तो का पुनर्जन्म हुआ जो भगवान के भक्त होने के बाद भी वो गोकुल की लीला से वंचित रह गये थे उन्हें रास लीला करा कर श्री कृष्ण की ही भाँति भक्ति और ज्ञान का दीप जलाया । साथ ही रास लीला और ज्ञान के दीप की लो को अखण्ड बनाये रखने हेतु आज भी आपके हस्त लिखित चोपड़े और आपकी गुरु गादी न केवल वागड़ बल्कि पूरे माव भक्तो का मार्गदर्शन करते है साथ ही रास की परम्परा आपके भक्त बखूबी अब तक निभाते है ।
प्रारम्भ में मावजी को लोगो ने पागल समझा । और वागड़ी में गांड़ा कहा गया ।
“मावजी तो गाडो कैवाय माहराज ”
और मावजी महाराज बचपन से कई सारे चमत्कार करते हुये लोगो को अपनी और आकर्षित करते गये । आपने 750 छोटे बड़े वागड़ी भाषा में ग्रन्थ लिखे । इनके द्वारा रचित 5 बड़े ग्रन्थ है जिन्हें चोपड़े कहां जाता है जिसमे मुख्य है साम सागर । जिसका हिंदी अनुवाद भी हो चूका है। इसमें भगवान कृष्ण की तरह ही मावजी महाराज की लीलाओ का वर्णन उसी प्रकार किया गया है। आपने कई सारी भविष्यवाणियां की है जो 300 वर्षो बाद भी आज उतनी ही सार्थक है ।
“डोरिये दिवा बरेंगा ”
भावार्थ – डोरी पर दीपक जलेगा ।  मतलब आजकल तारो द्वारा बिजली जलती है।
” परिये पानी विसायेगा ”
पानी को नाप कर बेचा जायेगा ।
वर्तमान में मिनरल वाटर बेचा जा रहा है ।
“वायरे वात थायेगा ”
भावार्थ – हवा से बातचीत होगी ।
वर्त्तमान में मोबाइल सुविधा का होना
” भेत में भबुका फूटेगा ”
मतलब दीवार से पानी निकलेगा ।
मतलब नल सुविधा ।
” पर्वत गरी नी पाणी होसी ।”
मतलब पर्वत काट दिये जायेंगे और हम देख रहे है मनुष्य के आगे पर्वत पानी बन गये है।
ऐसी कई सारी भविष्य वाणियों का और पूर्वानुमान की बातो को बताना मावजी महाराज को भगवान का अवतार अपने आप सिद्ध करता है।
न केवल आपकी रचनाएँ एक ही विषय को इंगित नही करती है बल्कि आप को संगीत के राग का अनुभव भी था । आपको ज्योतिष व् खगोल का भी ज्ञान था , चित्रकला में आप निपुण थे ।
आपने निष्कलंक सुकनावली बनाई जिसे श्री शुभ वेला पंचांग (वागड़ से संपादित ) में हर वर्ष प्रकाशित किया जाता है । जिसे आप देख कर पूर्वानुमान और खुद का भविष्य खुद देख सकते है। 64 कोठो की यह सुकनावली अत्यंत सरल और सटीक है जिसे इस पंचांग के 100 से 103 पृष्ठ पर देख सकते है।
आपने साबला व आसपास के पूरे क्षेत्र को गोकुल~मथुरा माना है जिसे साबलपुरी कहा गया है ।
बेणेश्वर को वेणु वृन्दावन कहा है ।
आपके मार्गदर्शन से भगवान निष्कलंक अवतार के मंदिरो का निर्माण कराया गया । जो साबला, पालोदा , शेषपुर , पुंजपुर , संतरामपुर आदि जगह मौजूद है ।
आपने जाति धर्म से ऊपर उठ कर अपने शिष्यों को सभी जातियों में बनाये । आपके अधिकांश शिष्य आदिवासी , वनवासी और गरीब तबकों के लोग रहे । साद , बुनकर , कलाल , दर्जी और भील आदि  जन जाति व पिछड़ी जातियो को आपने शिक्षित दीक्षित किया ।
और आपने समाज में फैली नशे की प्रवृति को उपदेशो से मिटाया । आज भी आपके भक्त कोई नशा नही करते है ।
आपने जाति प्रथा का विरोध किया
और स्वयं अन्तर्जातीय विवाह किया । विधवा विवाह का समर्थन किया ।
और भविष्यवाणी की ~ ऊच नु नीच होसे नी नीच नु ऊँच होसे ।
मतलब छोटी जातियों के लोग आगे बढ़ेंगे और उन्हें प्रतिनिधित्व का मौका मिलेगा ।
आप के चमत्कार भी कम नही रहे है। आप ने डूंगरपुर के गेप सागर के पानी पर चल कर तत्कालीन राजा को विस्मित कर दिया था ।
आपने नदी के पत्थरों को नारियल , पानी को घी और रेत को शक्कर बना कर प्रसाद बना दिया और लोगो को बांटा ।
आप खुद गाये चराते थे । प्रतिदिन गायो को साबला से बेणेश्वर ले जाते थे ।
संत श्री मावजी के बारे में अभी भी लोगो और आमजन में पूर्ण रूप से प्रचार प्रसार की कमी से भगवान के इस अवतार लीला का ज्ञान कम है।
आज भी मावजी महाराज के चमत्कार देखे और सुने जा रहे है ।
आपकी शिष्य परम्परा में गुरु गादी में वर्त्तमान गादीपति पूज्यवर अच्युतानन्दजी महाराज विराजते है । जिनके मार्गदर्शन में ” महाराज पंथ ”  चलता है । आपके भक्त मावभक्त कहलाते है । आपका उदगोष् जय ~ महाराज है । जो घर घर बोला जाता है । आपके धाम् बेणेश्वर पर प्रतिवर्ष पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक का विशाल मेला भरता है ।
जिसे राजस्थान का कुम्भ कहते है ।
reference by 

श्री राजेन्द्र पंचाल सामलिया

created by : Devendra khasor

माघ शुक्ला एकादशी मावजी महाराज जन्मोत्सव 28/01/2018

वडोदरा शहर में पहली बार मनाया जायेगा मावजी महाराज जन्मोत्सव
तारीख २८ जनवरी २०१८ संवत १०७४ माघ शुक्ला एकादशी को मनाया जायेगा
इस माव जन्मोत्सव में अनेको को श्रद्धालु आएंग
यह कार्यक्रम शेषपुर गांव के युवाओ के संगठन द्वारा मनाया जायेगा इसमें सभी मव भक्तो को सदर आमंत्रित किया जायेगा इस दिन होने वाले कार्यक्रम की रूप रेखा निम्न से रहेगी
।। जय महाराज ।।
गुरूजी के आशीर्वाद से माव जन्मोत्सव की कुछ तैयारियां की है और माव जन्मोत्सव कार्यक्रम का समय निम्नानुसार रखा है।
28/01/2018
👉🏻सांय 4 बजे दिप प्रज्वलन
👉🏻4:15 को मावजी के विषय मे 🎤प्रस्तावना और 👣गुरु पादुका दर्शन
👉🏻4:30 से 5: 00 तक 🎤माव लीला 
👉🏻5:00 से 5: 30 तक 💃आद्यात्मिक नृत्य
👉🏻5:30 से 🎤माव वाणी, 🎤आगम वाणी, 🎤गोप वचन, मावजी महाराज के 📖चोपड़ा का वांचन, 🎺भजन एवं मावजी की 🕴जंखि का नाटक (जनक खासोर एवं राधे ग्रुप ) और महा आरती
👉🏻8: 30 से 🥥महा प्रसाद वितरण
👉🏻9: 30 से 👫आध्यात्मिक महारास महोत्सव
👉🏻11:00 pm से 🍚 दही हांडी